Wednesday, November 22, 2017

Sex Story In Hindi

नाम सैंडी हैइक्कीस साल की पंजाबन बीए के दूसरे साल की छात्रा हूँ। हम तीन बहनें हैंमैं दूसरे नंबर की हूँ। मेरा गोरा रंगपतली कमरतीखे नैन-नक्श हैंछल छल करता जिस्म है।
कई बॉय फ्रेंड बनाये और बदले हैंदसवीं में ही चुद गई थी जब मेरा पहला एफेयर राजू नाम के लड़के से चला। हमारी मुलाकातें शुरु हुईपहले ये मुलाकातें सिनेमा में जहाँ होंठ से होंठ चूमने का काम शुरु हुआफिर कभी कभी उसकी कार में मिलने लगेफिर साइबर कैफे में मिलेकेबिन में पहली बार उसने मेरे मम्मे दबायेचुचूक चूसेघंटों-घंटों स्कूल से भाग़ उसके संग बैठने लगीवहाँ हल्का म्यूजिक चलता रहता। सभी आशिक जोड़े अब कैफे में मिलने लगे थे।
एक दिन उसने अपना लौड़ा निकाल हाथ में दियासांवले रंग का मोटा लंबा थावेबसाइट पर नंगी तस्वीरें मुझे दिखाकर बोला- मुँह में ले !
मैंने मुँह में लेकर चूसामजा बहुत आया। अब थोड़ी देर रोज़ मिलते ही थेमोनिटर साइड पर कर वो मेज पर बैठ जातामैं कुर्सी पर बैठ उसका लौड़ा चूसतीफिर मैं मेज पर बैठकर सलवार खिसका उससे अपनी फुदी चटवातीमम्मे चुसवाती।
आखिर एक दिन उसका घर खाली थामुझे घर ले गयाजाते ही दोनों बिस्तर में एक दूसरे के अंग चूसने लगेपहली बार उसने मेरी फुद्दी मारीसील तोड़ दीखून निकला,दर्द हुआमजा भी आया। पहली बार उसका जल्दी निकल गया इसलिए दोबारा खड़ा करके उसने दूसरा राऊंड लगायाकाफी वक़्त निकलाघोड़ी भी बनाया।
अब जब सील टूट गईखून भी निकल चुका थाअब कैफे में में उसका खड़ा करवाती चूस कर फिर वो कुर्सी पर बैठ जाता और मैं उस पर बैठ जातीमेरे मम्मे उसके मुँह के करीब होते और लौड़ा फुद्दी में।
उसका दूसरी लड़की से एफेयर निकलाइधर मैंने भी बॉय फ्रेंड बदल दिया। फिर अगले कुछ सालों में मैंने कई लड़कों से एफेयर चलाये और सभी को अपनी जगह रख हेंडल किया।
फिर दीदी की शादी हो गईससुराल चली गई। जीजा जी बहुत बहुत हैण्डसम-स्मार्ट हैं।
पहले वो सामान्य रहे लेकिन फिर उन्होंने मुझमें दिलचस्पी लेनी शुरु कर दी। मैं भी उन पर मरने लगीदोनों एक दूसरे की ओर खिंचने लगे।
सर्दी के दिन थेदीदी-जीजू आये हुए थेमुझे याद है नया साल चढ़ने वाली रात थी।
पापा और जीजा जी ने बैठकर दारु के पैग खींचे और फिर सबने एक साथ डिनर भी किया। जीजाजी की आँखों में नशा था और मेरे प्रति प्यास।
सभी रजाई में बैठ कर टी वी का कार्यक्रम देखने लगे। पहले दीदीफिर जीजू फिर मैं और मेरे आगे माँ बैठी थी।
मैंने नोट किया जीजू मेरी तरफ सरकेइधर माँ झपकियाँ लेने लगीउठीबोली- मुझे नींद आ रही है।
माँ सोने चली गईउधर दीदी भी बार बार झपकी ले रही थी। जीजू ने मेरी रजाई में हाथ घुसायामैं उनकी तरफ सरकीनज़र दोनों की टी.वी पर थीउनका हाथ मेरी जांघ पर रेंगने लगा। मैंने अपना हाथ घुसाया और उनके लौड़े को पकड़ लिया। वो पहले ही खड़ा हुआ था। जीजू ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लोअर में घुसा दिया।

हाय ! उनका कितना बड़ा था उनका !
मैं उनकी मुठ मारने लगी। देखा कि दीदी सो गई तो मैंने चेहरा उनकी ओर घुमायामेरे होंठ चूम लिए जीजा जी नेमेरा हाथ हटाया और दीदी से बोले- जान सो गई क्या?
"हाँ !"
"चलो सोने चलते हैं फिर !"
"ठीक !"
मैं चुदना चाहती थीबोली- जाओमैं दूध लेकर आती हूँ !
दीदी बोली- मुझे नहीं पीना !
जीजू बोले- पीना चाहिए !
मैंने दादी के कमरे से नींद की दो गोलियाँ पीस दीदी के ग्लास में मिला दीबाकी जीजू ने काम कियाउठाकर पिला दिया।
माँ-पापा की नींद बहुत गहरी है।
मैं वापिस आकर लेट गईआधे घंटे बाद जीजू आएदरवाज़ा खुला थामैंने नीचे सिर्फ पैंटी पहनी थीऊपर सिर्फ टीशर्ट !
"जीजा ! दरवाज़े को कुण्डी लगा कर आना !"
जैसे वो आयेरजाई में हाथ डाला- तू तो तैयारी करके बैठी है !
जीजू ने रजाई हटाईमेरी टांगें फैला कर मेरी फ़ुद्दी का मुआयना किया और दाने को चाटने लगे। मेरा हाथ उनके बालों में फिरने लगा। उनको फ़ुद्दी चाटनी पसंद थीएक उंगली फुद्दी में डाल घुमाने लगे और साथ दाना चाटने लगे। मेरे तो चूतड़ मस्ती में उठने लगे।
"लगता है काफी नज़ारे लूटें हैं?"

मैं चुप रहीमैंने भी उनका लौड़ा चूसने की इच्छा जताई तो जीजा जी उसी पल फ़ैल गएमैं चुपचाप उनका लौड़ा चाटने लगी- बहुत मोटा है आपका !
"पसंद आया?"
"बहुत !"
"जिस दिन चहिएफ़ोन कर दिया करना !"
"ज़रूर ! जीजा अब मारो न मेरी !"
जीजा ने मेरी फुद्दी में घुसा दिया !
नये साल वाले मिनट में जीजा का लौड़ा मेरे अंदर थाजीजू बोले- देख नये साल वाले मिनट तेरी ले रहा हूँअब पूरा साल ऐसे देती रहना मुझे और अपने आशिकों को !
"हाय मर गई ! बहुत लंबा-मोटा है ! चीर दी फुद्दी साली की ! खा गई लौड़ा जीजा का ! जोर जोर से मारो मेरी ! हाय फाड़ दो मेरी ! बहुत अच्छे ! अह अह !"
मुझे बहुत मजा आया ! इस तरह मेरे जीजू से मेरे अन्तरंग सम्बन्ध स्थापित हो गए।
जब कोई नई घटना घटेगी तो ज़रूर लिखूँगी।

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